Yoga, Vyayama, and Krida in the Terracotta Temples around Santiniketan: A Reflection of Folk Art and Culture

Author: Mohammad Razzaque & Samiran Mondal

DOI Link: https://doi.org/10.70798/Bijmrd/03110008

Abstract(सारांश): शांतिनिकेतन और उसके आसपास के इलाक़ों में स्थित प्राचीन टेराकोटा (पक्की मिट्टी की) मंदिर सिर्फ़ धार्मिक आस्था के केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे अपने समय के समाज, जीवनशैली और लोक परंपराओं के सजीव दस्तावेज़ भी हैं। इस शोध का उद्देश्य यह समझना है कि इन मंदिरों की दीवारों पर बने योग (योगासन), व्यायाम (शारीरिक कसरत), और क्रीड़ा (खेलकूद) से जुड़े चित्र किस प्रकार से उस समय के लोगों की सोच, उनकी दिनचर्या और सामुदायिक जीवन को दर्शाते हैं।

मैंने शांतिनिकेतन के आसपास स्थित प्रमुख मंदिरों — जैसे सुरुल सरकार बड़ी, मानसामंदिर, इलमबाज़ार के पाँच मंदिर, श्रीनिकेतन का लक्ष्मी-जनार्दन मंदिर और घुड़िसा मंदिर — का प्रत्यक्ष दौरा किया। वहाँ पर मैंने न केवल चित्रों का अध्ययन किया बल्कि स्थानीय लोगों, श्रद्धालुओं और मंदिर से जुड़े बुज़ुर्गों से बातचीत भी की। उनसे मिली मौखिक जानकारी, परंपराएँ और उनकी यादें इस शोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनीं।

इन मंदिरों की टेराकोटा कला में कुश्ती, तीरंदाज़ी, ध्यान की मुद्रा, घुड़सवारी, और बच्चों के खेल जैसी अनेक गतिविधियाँ दिखती हैं। ये सिर्फ़ सजावट नहीं, बल्कि एक ज़माने की जीवनशैली की झलक हैं। यह शोध इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय समाज में शारीरिक और मानसिक विकास को किस तरह से धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।

इन मंदिरों और उनके चित्रों को न सिर्फ़ संरक्षण की ज़रूरत है, बल्कि इन्हें समझना, दस्तावेज़ करना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना हमारी सांस्कृतिक ज़िम्मेदारी भी है।

Keywords(मुख्य शब्द): शांतिनिकेतन, टेराकोटा मंदिर, योग, व्यायाम, क्रीड़ा, लोक कला, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, बंगाल की विरासत, शारीरिक संस्कृति, मंदिर शिल्प

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