Author: Dr.Amit Ranjan Chakraborty
DOI Link: https://doi.org/10.70798/Bijmrd/03070028
Abstract: भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विविधताओं वाला देश है, जहाँ महिला सशक्तिकरण को देश के विकास का महत्वपूर्ण आधार माना जाता है। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, और राजनीतिcक रूप से स्वावलंबी बनाना है ताकि वे अपने अधिकारों का संरक्षण कर सकें और समाज में समान भागीदारी कर सकें। यह केवल महिलाओं के हित में नहीं, बल्कि पूरे समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। विशेष रूप से बिहार जैसे राज्यों में, जहाँ सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ व्यापक रूप से विद्यमान हैं, महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाती है।
बी.एड. प्रशिक्षु यानी वे छात्र जो शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, वे आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे न केवल छात्रों को ज्ञान देंगे बल्कि सामाजिक मूल्यों और संवेदनाओं का संचार भी करेंगे। इसलिए, उनकी महिला सशक्तिकरण के प्रति अभिवृत्ति यानी उनकी सोच, दृष्टिकोण और व्यवहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि बी.एड. प्रशिक्षु महिला सशक्तिकरण के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं, तो वे शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसी कारण इस विषय का अध्ययन अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
भारत में महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में सामाजिक-आर्थिक स्थिति एक बड़ा कारक है। सामाजिक-आर्थिक स्थिति से आशय परिवार की आर्थिक स्थिति, सामाजिक वर्ग, जाति, रोजगार की स्थिति, और जीवन स्तर से है। ये सभी कारक महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। बिहार जैसे राज्यों में जहाँ गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक रूढ़िवादिता प्रबल हैं, वहां महिलाओं के सामने कई बाधाएँ आती हैं। ऐसे समाज में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण तो है ही, साथ ही अत्यंत आवश्यक भी। बी.एड. प्रशिक्षुओं की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि भी उनकी सोच पर प्रभाव डालती है; जो विद्यार्थी आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत परिवारों से आते हैं, उनकी महिला सशक्तिकरण के प्रति अभिवृत्ति अलग हो सकती है बनिस्पत उनके जो कमजोर वर्ग से आते हैं।
सामाजिक-आर्थिक स्थिति, व्यक्तिगत भिन्नता एवं शैक्षिक उपलब्धि के परिप्रेक्ष्य में महिला सशक्तिकरण के प्रति बी.एड. प्रशिक्षुओं की अभिवृत्ति: बिहार संदर्भ में एक अध्ययन
Keywords: ҡिɷगत ȭभϿता, शैȭʔक उपलȮѐ, मिहला सशिɷकरण, अȭभवृिͱ, आȭथɋक असमानता
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